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Gam Bhari Shayari | वाकई बहुत कुछ | Gam Shayari in Hindi
शांत हू मैं
बाहर से ,
क्यूंकि कोहराम
अंदर है।
वो वादा ले
गए मुझसे
उनके बिना
कभी ना रोने का।
ज़ख्म गहरा
है उनके जाने से ,
और हरा है
उनकी याद आने से।
Gam Bhari Shayari | ना इंतज़ार खत्म | Gam Shayari in Hindi
पहले जिन
रिश्तों के बिना
चैन नहीं
आता था
अब उनकी याद
तक नहीं आती।
रिश्ते तंग
क्या हुए ,
मन की शांति
भंग हो गयी।
अपना-सा जीना
क्या शुरू किया ,
हम अपनों
के ही अपने ना रहे।
Gam Bhari Shayari | वो तकलीफें देते रहे | Gam Shayari in Hindi
ना होश है
ना ख्याल है
फिर क्यू
मोहब्बत है उनसे
ये मेरे दिल
का मुझसे सवाल है।
खिलोने की
ज़रूरत थी उन्हें
और हम नासमझी
में
अपना दिल
गवां बैठे।
मेरा कोई
नहीं है यहाँ ,
सिवाय मेरे
काम के।
Gam Bhari Shayari | टूटने के लिए | Gam Shayari in Hindi
ना दोष लगा
सका
ना प्यार
जता सका
वो ऐसा ओझल
हुआ नज़रो से
ना उसे देख
सका
ना खुद को
दिखा सका।
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जिन्हे मासूमियत-से
गले लगाया ,
उन्होंने
ही चालाकी से
गला काटना
चाहा।
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खतरा अपनों
से ही है
ज़ज़्बातों
के दम पर
उन्हें मारना
जो आ गया है।
Gam Bhari Shayari | उन्हें बेपनाह | Gam Shayari in Hindi
सुख-सी हो
चली है ज़िन्दगी
ना उनकी यादों
की बारिश भिगोती है
और ना मेरे
आंसुओ का पानी।
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चंद दिनों
के ही मेहमान थे वो
भूल से कमरे
की बजाय
हम घर ही
दे बैठे।
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बड़ा पूछकर
उनसे
जवाब लिया था हां का ,
ना जाने क्यू
चला गया
वो बिना कहे 'ना' का।
Gam Bhari Shayari | वो ज़ख्म हरे | Gam Shayari in Hindi
इक खौफ आज
भी
ज़िंदा है दिल में ,
कि कही मैं
जुड़ गया
और वो आ गए तो।
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राह में अगर
वो मिल भी जाता है ,
तो हमें नज़रअंदाज़
कर
आगे निकल
जाता है।
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आजकल दिलों
में
ख्वाहिशों
की जगह
रंजिशों ने
ले रखी है।
Gam Bhari Shayari | वो बीते कल
के
| Gam Shayari in Hindi
बिलकुल ही
प्यार था हमे उनसे
और अब बिलकुल
भी नहीं है।
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इतने मसरूफ
हो गए है वो ,
कि अब परिंदे
भी आवाज़ नहीं लगाते
आपका पैगाम
देने के लिए।
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जब ज़िन्दगी
अपनी
मर्ज़ी से नहीं चलती ,
तब दूसरों
की मर्ज़ी चलती है।
Gam Bhari Shayari | ना बातें अब | Gam Shayari in Hindi
शुरू में
नज़र उन्होंने
इसलिए ही
मिलाई थी
ताकि अंत
में हमे
नज़रअंदाज़
कर सके।
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हम कोशिशों
में भी
उन्हें ढूंढते
रहे
और हम उन्ही
के ही थे
फिर भी वो
हमें खोते रहे।
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ना जाने उनकी
ज़रूरतें पूरी
हो गयी थी
या फिर प्यार
खत्म हो गया था।
Gam Bhari Shayari | घिन आती है | Gam Shayari in Hindi
उनकी शिकायतों
से भी
हमने मोहब्बत
ही की ,
मगर हमारी
मोहब्बत से भी
उन्होंने
सिर्फ नफरत ही की।
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लादो उन्हें
मेरी सांसो के पास
या फिर मेरे
पास से
मेरी सांसें
ही लेलो।
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मैं हमेशा
से उनका रहा
और वो मेरा
कभी-कभार का।
Gam Bhari Shayari | हम खुद से मरे | Gam Shayari in Hindi
वो जो कभी
तुम पर हक़ था ना
वो आज नफरत
में बदल गया है।
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किसने कहा
अधूरी है मेरी मोहब्बत
मेरे आंसू
और तुम्हारी बेवफाई
इसे मुकम्मल
कर रहे है।