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Ishq Shayari | Tere ishq me | Love Shayari in Hindi | romantic ishq shayari
ज़रा-सा इश्क़
क्या हुआ ,
खुशियां बेशुमार
हो गयी है।
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कब कैद हुआ
इश्क़ के जाल में ,
पता लगा तब
जब हुआ बेहाल मैं।
Ishq Shayari | Muddato se tumse | Love Shayari in Hindi | ishq shayari in hindi
वो इस कदर
रोशन कर देता है मुझे ,
जैसे चाँद
आसमा को।
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उनका साथ
मज़ा देता है ,
तो फासला
सजा देता है।
लगता है इश्क़
का रोग है मुझे
जो रोउ तो
हंसा और
हँसते-हँसते
रुला देता है।
Ishq Shayari | Tumhare aane se | Love Shayari in Hindi | ishq love shayari
कल तक जिस
इश्क़ से बैर था ,
आज उसकी बाहों
में हु।
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उनका साथ
है तो सब सही है ,
जाने के बाद
उनके
कमी ही कमी
है।
Ishq Shayari | Tere ishq me | Love Shayari in Hindi | love ishq shayari | ishq romantic shayari
इस कदर इश्क़
मेरी
नसों में
उतर रहा है ,
सिर्फ चखते
ही इसे बस
नशा हो रहा
है।
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इश्क़ जबसे
अपना हुआ ,
शायरियां
भी मेरी हो गयी।
Ishq Shayari | Junoon-e-ishq | Love Shayari in Hindi | ishq shayari hindi
सिर्फ तुम्हारे,
मुझे कही चैन नहीं ,
जैसे दिन
के बिना पूरी रैन नहीं।
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बहने लगी
है इश्क़ की मीठी हवाए ,
जो उन्हें
मेरे तो मुझे उनके
और करीब ले
आये।
Ishq Shayari | Poori meri har | Love Shayari in Hindi | shayari on ishq
हम कही खो
से गए है ,
देखना ज़रा
खुद को टटोल के
क्या पता
मिल ही जाए।
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आइना भी अब
तो मेरा नहीं रहा ,
कुछ दिनों
से उनकी शक्ल दिखाता है।
Ishq Shayari | Saari umr sath | Love Shayari in Hindi | two line ishq shayari
आंखें थकती
नहीं ,मन भरता नहीं
आँखे थकती
नहीं , मन भरता नहीं
मौजूदगी से
ही उनकी ,पल बीतते है
वरना एक पल
भी मेरा सरता नहीं।
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समझ नहीं
आया
ये कब हुआ
मेरे साथ ,
वो कब आये
और मुझे चुरा
के ले गए।
Ishq Shayari | Tumse ishq karna | Love Shayari in Hindi | ishq ki shayari | love ishq shayari in hindi
मेरी कश्ती
को आराम वहां है
सिर्फ इसका
साहिल जहां है।
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इश्क की बेहतरीन सूरत हो आप.
मेरी जिंदगी की जरुरत हो आप
मेरी जिंदगी की जरुरत हो आप
Ishq Shayari | Ishq ka gunah | Love Shayari in Hindi | deep ishq shayari | love ishq shayari in hindi
सुर्ख गुलाब
सी तुम हो,
जिन्दगी के बहाव सी तुम हो,
हर कोई पढ़ने को बेकरार,
पढ़ने वाली किताब सी तुम हो।
जिन्दगी के बहाव सी तुम हो,
हर कोई पढ़ने को बेकरार,
पढ़ने वाली किताब सी तुम हो।
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बड़ी आरज़ू
थी
महबूब को बेनक़ाब देखने की
दुपट्टा जो सरका तो
दुपट्टा जो सरका तो
जुल्फें दीवार बन गईं